अपरा एकादशी महात्म्य wikpidia
श्री अपरा एकादशी व्रत कथा
युधिस्ठिर ने पूछा
जनार्दन! जेस्ट
के कृष्ण पक्ष में किस नाम की एकादशी होती है?
मैं उसका महात्मा सुनना चाहता हूं।
उसे बताने की कृपा कीजिए।
भगवान श्रीकृष्ण बोले।
राजन! तुमने संपूर्ण लोकों के हित के लिए बहुत उत्तम बात पूछी है।
राजेंद्र! इस एकादशी का नाम अपरा है। यह बहुत पुण्य प्रदान करने वाली और बड़े-बड़े पापों का नाश करने वाली है। ब्रहम हत्या से दबा हुआ ,गोत्र की हत्या करने वाला, गर्भस्थ बालक को मारने वाला, पर निंदक तथा पर स्त्री लंपट पुरुष भी अपरा एकादशी के सेवन से निश्चय ही पाप रहित हो जाता है।
जो झूठी गवाही देता, माप तोल में धोखा देता, बिना जाने ही नक्षत्रों की गणना करता और कूटनीति से आयुर्वेद का ज्ञाता बनकर वैद्य का काम करता है यह सब नरक में निवास करने वाले प्राणी है,
परंतु अपरा एकादशी के सेवन से ये भी पाप रहित हो जाते हैं।
यदि क्षत्रिय क्षात्र धर्म का परित्याग करके युद्ध से भागता है, तो वह क्षत्रियों चित धर्म से भ्रष्ट होने के कारण घोर नरक में पड़ता है।
जो शिष्य विद्या प्राप्त करके स्वयं भी गुरु की निंदा करता है ,वह भी महा पापों से युक्त होकर भयंकर नरक में गिरता है।
किंतु अपरा एकादशी के सेवन से ऐसे मनुष्य भी सद्गति को प्राप्त होते हैं।
माघ में जब सूर्य मकर राशि पर स्थित हो, उस समय प्रयाग में स्नान करने वाला मनुष्य को जो पुण्य होता है,
काशी में शिवरात्रि का व्रत करने से जो पुण्य प्राप्त होता है,
गया में पिंड दान करके पितरों को तृप्ति प्रदान करने वाला पुरुष जिस पुण्य का भागी होता है,
बृहस्पति के सिंह राशि पर स्थित होने पर गोदावरी में स्नान करने वाला मानव जिस फल को प्राप्त करता है,
बद्री का आश्रम की यात्रा के समय भगवान केदार के दर्शन से तथा बद्री तीर्थ के सेवन से जो पुण्य फल उपलब्ध होता है
तथा सूर्य ग्रहण के समय कुरुक्षेत्र में दक्षिणा सहित यज्ञ करके हाथी ,घोड़ा और सोना दान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, अपरा एकादशी के सेवन से भी मनुष्य वैसे ही फल प्राप्त करता है।
अपरा एकादशी को उपवास करके भगवान वामन की पूजा करने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो श्री विष्णु लोक में प्रतिष्ठित होता है।
इसको पढ़ने और सुनने से सहस्त्र गोदान का फल मिलता है।
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